प्रार्थना समाज – दोस्तों, आज हम प्रार्थना समाज के बारे में जानेंगे, पिछले आर्टिकल में हमने ब्रह्म समाज के बारे में जाना था।
जिस प्रकार जब 1828 में बंगाल में ब्रह्म समाज की स्थापना से बंगाल में समाज और धार्मिक सुधार बहुत तेजी से हो रहे थे, उसी प्रकार 1840 के आसपास बॉम्बे में परमहंस सभा के नाम से एक संस्था बनी थी।
परमहंस सभा एक गुप्त संस्था के रूप में कार्य कर रही थी, जिसका उद्देश्य समाज में उदार विचारों का फैलाव करना और जाति और साम्प्रदायिक बंधनों का तोडने का बढ़ावा देना था।
यह संस्था गुप्त रूप से इसलिए कार्य कर रही थी क्यूंकि यह समाज के रूढ़िवादी तत्वों से बच कर अपना कार्य करना चाहती थी और इसलिए इसके कार्य बहुत हद तक सिमित थे।
इसी बीच हमने पिछले आर्टिकल में भी पढ़ा था की 1857 में केशव चंद्र सेन ब्रह्म समाज के साथ जुड़ गए थे और उनके कार्यों से ब्रह्म समाज के विचार पूरे देश में फैलने लग गए थे और बॉम्बे में भी इन विचारों का प्रभाव पड़ा था।
तब बॉम्बे में 31 मार्च, 1867 में एक सामाजिक और धार्मिक संगठन की स्थापना हुई जिसका नाम प्रार्थना समाज था, और इसकी स्थापना आत्माराम पांडुरंग द्वारा की गई थी और इस संगठन की शुरुआत आत्माराम पांडुरंग द्वारा केशव चंद्र सेन की मदद से की गई थी।
प्रार्थना समाज की 4 सूत्री कार्यसूची ( 4 Point Agenda )
1. | महिलाओं की शिक्षा का समर्थन और बढ़ावा देना। |
2. | विधवा पुनर्विवाह का समर्थन और बढ़ावा देना। |
3. | महिलाओं और पुरुषों दोनों की विवाह करने की आयु को बढ़वाना। |
4. | जाति प्रथा का बहिष्कार करना। |
प्रार्थना समाज के जुड़े बिंदु
1. | यह संगठन भी ब्रह्म समाज की तरह एक भगवान अर्थात एकेश्वरवाद को मानने वाला था। |
2. | इस संगठन का आधार उपनिषद और भगवत गीता थी। |
3. | पश्चिमी उदार विचारों का फैलाव। |
4. | महाराष्ट्र की भक्ति और संस्कृति का फैलाव और नामदेव और तुकाराम जैसे संतों द्वारा काव्य साहित्य से भी यह संगठन जुड़ा था। |
प्रार्थना समाज एक सामाजिक और धार्मिक संस्था थी पर इस संस्था का ज्यादा जोर सामाजिक सुधारों की तरफ था।
इस संस्था को इसके प्रारंभिक वर्षों अर्थात प्रारंभ के दो से तीन वर्षों में वह पहचान नहीं मिल पाई जो इस संस्था को मिलनी चाहिए थी।
परंतु 1870 में जब महादेव गोविन्द रानडे इस संस्था के साथ जुड़े तब सिर्फ बॉम्बे में ही नहीं बल्कि पुरे भारत में प्रार्थना समाज का नाम होने लग गया था और इसके विचार भी फैलने लग गए थे।
हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।
धन्यवाद।
बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रार्थना समाज का मुख्य उद्देश्य क्या था?
यह संगठन भी ब्रह्म समाज की तरह एक भगवान अर्थात एकेश्वरवाद को मानने वाला था। महिलाओं की शिक्षा का समर्थन और बढ़ावा देना, विधवा पुनर्विवाह का समर्थन और बढ़ावा देना, महिलाओं और पुरुषों दोनों की विवाह करने की आयु को बढ़वाना, जाति प्रथा का बहिष्कार करना।
प्रार्थना समाज की स्थापना कहाँ हुई?
बॉम्बे में 31 मार्च, 1867 में एक सामाजिक और धार्मिक संगठन की स्थापना हुई जिसका नाम प्रार्थना समाज था, और इसकी स्थापना आत्माराम पांडुरंग द्वारा की गई थी।
प्रार्थना समाज की स्थापना किसकी प्रेरणा से हुई?
1857 में केशव चंद्र सेन ब्रह्म समाज के साथ जुड़ गए थे और उनके कार्यों से ब्रह्म समाज के विचार पूरे देश में फैलने लग गए थे और बॉम्बे में भी इन विचारों का प्रभाव पड़ा था, तब बॉम्बे में 31 मार्च, 1867 में एक सामाजिक और धार्मिक संगठन की स्थापना हुई जिसका नाम प्रार्थना समाज था और इस संगठन की शुरुआत आत्माराम पांडुरंग द्वारा केशव चंद्र सेन की मदद से की गई थी।
महाराष्ट्र में प्रार्थना समाज का मुख्य संचालक कौन था?
1870 में जब महादेव गोविन्द रानडे इस संस्था के साथ जुड़े तब सिर्फ बॉम्बे में ही नहीं बल्कि पुरे भारत में प्रार्थना समाज का नाम होने लग गया था और इसके विचार भी फैलने लग गए थे।