दोस्तों, आज हम महाजनपद या महाजनपदों के संबंध में जानेंगे, जैसे की हमने हमारे पिछले आर्टिकल वैदिक काल में जाना था की उतर वैदिक काल में लोहे की खोज होती है और उस खोज के कारण समाज में आर्थिक क्रांति आती है।
समाज में लोहे की खोज से लोगों आर्थिक स्थिति में सुधार आता है, इस आर्थिक स्थिति में सुधार के कारण समाज की सामाजिक स्थिति में भी प्रगति होती है और सामाजिक प्रगति के कारण राजनीतिक जीवन में भी प्रगति होती है।
वैदिक काल में जहाँ समाज की सबसे छोटी इकाई कबीला हुआ करती थी, इन बहुत सारे कबीले को मिलाकर जन बनने लगे और इन बहुत सारे जन को मिलाकर जनपद बनने लगे और वैदिक काल के अंत तक इन जनपदों को मिलाकर महाजनपदों का निर्माण हुआ था।
कबीला < जन < जनपद < महाजनपद
इस प्रकार समाज की आर्थिक स्थिति ने सामाजिक स्थिति को मजबूत किया और सामाजिक स्थिति ने राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया और 6ठी शताब्दी तक इन महाजनपदों का निर्माण हो गया था।
महाजनपदों की जानकारी के स्त्रोत
इसी के साथ-साथ वैदिक काल के अंतिम चरण में दो नए धर्मों जैसे बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी उदय हो रहा था और इन्हीं बौद्ध और जैन धर्मों के ग्रंथों से हमें इन महाजनपदों की जानकारी प्राप्त होती है।
बौद्ध धर्म ग्रंथ में अंगुत्तरनिकाय में हमें इनके बारे में जानकारी प्राप्त होती है और इसमें 16 महाजनपदों की सूची प्राप्त होती है।
जैन धर्म ग्रंथ में भगवती सूत्र में हमें इनके बारे में जानकारी प्राप्त होती है और इसमें भी 16 महाजनपदों की सूची हमें प्राप्त होती है, दोनों ही धर्म ग्रंथों की जानकारी में कुछ अंतर देखने को मिलता है।
इन धर्म ग्रंथों के अनुसार इन महाजनपदों की संख्या 16 थी और यह मुख्य रूप से भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भाग में विस्तृत थे और कुछ वर्तमान भारत से बाहर भी थे परंतु उस समय भारत का हिस्सा थे।
यह 16 महाजनपद आपस में संघर्ष करते थे और आगे बढ़ने का प्रयास करते रहते थे और इनमें से मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में सामने आया था।
महाजनपदों की शासन व्यवस्था
राजतंत्र व्यवस्था
इन महाजनपदों में ज्यादातर में राजतंत्र की व्यवस्था थी अर्थात यहाँ राजा द्वारा शासन व्यवस्था संभाली और चलाई जाती थी।
गणतंत्र व्यवस्था
कुछ महाजनपदों में गणतंत्र की व्यवस्था भी थी अर्थात जहाँ गण या संघ शासन व्यवस्था चलाते हैं और कोई वंशानुगत शासन नहीं चलता है।
16 महाजनपदों की सूची एवं उनकी राजधानी
आइये दोस्तों, अब हम बौद्ध एवं जैन धर्म ग्रंथों की जानकारी के अनुसार उन 16 महाजनपदों की सूची, उनकी राजधानी और उनसे जुड़े कुछ बिंदुओं के ऊपर दृष्टि डालें:
महाजनपद | राजधानी | वर्तमान स्थान | महाजनपदों से जुड़े बिंदु |
मगध | राजगृह | पटना से गया के बीच | सबसे शक्तिशाली महाजनपद |
अंग | चंपा | भागलपुर | |
वज्जि | वैशाली | तिरहुत क्षेत्र | 8 जनपदों से मिलकर बना महाजनपद और प्रथम गणतांत्रिक महाजनपद |
काशी | वाराणसी | ||
कोशल | श्रावस्ती, साकेत | फैज़ाबाद | |
मल्ल | कुशीनगर | देवरिया | गणतांत्रिक महाजनपद और बुद्ध का महापरिनिर्वाण |
वत्स | कौशाम्बी | प्रयागराज | |
कुरु | इंद्रप्रस्थ | दिल्ली | महाभारत में चर्चित स्थान |
पांचाल | अहिच्छत्र | ||
शूरसेन | मथुरा | ||
चेदी | शुक्तिमती / सोत्थिवती | राजा शिशुपाल | |
अवन्ति | उज्जैन / महिष्मती | ||
मत्स्य | विराट नगर | जयपुर | |
अस्मक | पोतन / पोटली | आंध्र प्रदेश | |
कम्बोज | राजपुर / हाटक | पाकिस्तान और अफगानिस्तान | भारत से बाहर के महाजनपद |
गांधार | तक्षशिला | पाकिस्तान के अधिकृत जम्मू-कश्मीर से लगा हुआ क्षेत्र | भारत से बाहर के महाजनपद |

दोस्तों, वर्तमान भारत के बिहार में 3 महाजनपद थे, उसके बाद सबसे ज्यादा 8 महाजनपद उत्तर प्रदेश में थे, उसके बाद 1 मध्य प्रदेश में, 1 राजस्थान में, 1 दक्षिण भारत में और बाकी के 2 पहले तो भारत का ही हिस्सा थे, परंतु अभी वर्तमान में भारत से बाहर हैं।
मगध महाजनपद मूल रूप से बिहार के दक्षिणी भाग में था जो वर्तमान में पटना से गया तक का क्षेत्र था।
मगध के राजधानी राजगृह थी, इतिहासकारों के अनुसार मगध की प्रारंभिक राजधानी गृह ब्रज थी, आगे चलकर यह सभी महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली महाजनपद बन के सामने आता है।
इस मगध से भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण वंश जुड़े हैं जैसे बिम्बिसार का हर्यक वंश, मौर्य वंश आदि।
अंग की राजधानी चंपा थी और यह वर्तमान भारत के भागलपुर मुंगेर के क्षेत्र में है।
वज्जि की राजधानी वैशाली थी और यह 8 जनपदों मिलकर बना एक संघ था जिसे वज्जि संघ कहा जाता है, इन 8 जनपदों में लिच्छवि जनपद की राजधानी वैशाली थी और सभी महाजनपदों में सबसे पहला गणतंत्र जनपद था, वर्तमान में यह उत्तरी बिहार के तिरहुत प्रमंडल का क्षेत्र जिसे हम मिथिला क्षेत्र भी कहते हैं वहां आता है।
काशी की राजधानी वाराणसी थी।
कोशल दो भागों में बंटा हुआ था इसलिए इसकी उत्तरी भाग की राजधानी साकेत थी और दक्षिणी भाग की राजधानी श्रावस्ती थी, परंतु श्रावस्ती को ही ज्यादातर इसकी राजधानी माना जाता है और यह वर्तमान में अयोध्या या फैज़ाबाद में आता है।
मल्ल भी वज्जि संघ की तरह एक गणतांत्रिक महाजनपद था और इसकी राजधानी कुशीनगर थी, और कुशीनगर वही क्षेत्र था जहाँ गौतम बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था और वर्तमान में यह देवरिया क्षेत्र में आता है।
वत्स वर्तमान में प्रयागराज या इलाहाबाद में आता है और इसकी राजधानी कौशाम्बी थी।
कुरु की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी और वर्तमान में दिल्ली क्षेत्र में आता है और यह महाजनपद महाभारत में भी चर्चित रहा था।
पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी।
शूरसेन की राजधानी मथुरा थी।
चेदी की राजधानी शुक्तिमती या सोत्थिवती थी, यहां से राजा शिशुपाल का भी संबंध था जिनका वध श्रीकृष्ण ने किया था।
अवन्ति की राजधानी उज्जैन थी और यह मगध की तरह शक्तिशाली महाजनपदों में से एक था, इसके उत्तरी भाग की राजधानी उज्जैन थी और दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मती थी, परंतु उज्जैन को ही ज्यादातर इसकी राजधानी माना जाता है, यहाँ से जुड़ा एक बिंदु है की यहाँ के एक राजा चंद-प्रद्योत थे, जिनका स्वास्थ्य बेहत ख़राब हो गया था और उनकी सहायता के लिए बिम्बिसार द्वारा उनके दरबार में रहने वाले जीवक को भेजा गया था।
मत्स्य की राजधानी विराट नगर थी और यह वर्तमान में जयपुर, राजस्थान में आता है।
अस्मक की राजधानी पोतन या पोटली थी और यह एकमात्र ऐसा महाजनपद था जो दक्षिण भारत में था और यह वर्तमान में आंध्र प्रदेश में है।
कम्बोज की राजधानी राजपुर या हाटक थी और यह वर्तमान में भारत से बाहर पाकिस्तान और अफगानिस्तान क्षेत्र में आता है।
गांधार की राजधानी तक्षशिला थी और तक्षशिला प्राचीन भारत की प्रथम शिक्षा स्थल था, इसके साथ-साथ मौर्य काल में यह शिक्षा का केंद्र था और गांधार वर्तमान में पाकिस्तान के अधिकृत जम्मू-कश्मीर से लगा हुआ क्षेत्र में आता है।
हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।
धन्यवाद।
बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न
किस बौद्ध ग्रंथों में 16 महाजनपदों का उल्लेख है?
बौद्ध धर्म ग्रंथ में अंगुत्तरनिकाय में हमें इनके बारे में जानकारी प्राप्त होती है और इसमें 16 महाजनपदों की सूची प्राप्त होती है।
किस जैन धर्म ग्रंथ में 16 महाजनपदों का उल्लेख है?
जैन धर्म ग्रंथ में भगवती सूत्र में हमें इनके बारे में जानकारी प्राप्त होती है और इसमें भी 16 महाजनपदों की सूची हमें प्राप्त होती है।
प्राचीन भारत में महाजनपदों की कितनी संख्या थी?
इन धर्म ग्रंथों के अनुसार इन महाजनपदों की संख्या 16 थी और यह मुख्य रूप से भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भाग में विस्तृत थे और कुछ वर्तमान भारत से बाहर भी थे परंतु उस समय भारत का हिस्सा थे।
किन दो महाजनपदों में गणतंत्र शासन व्यवस्था थी?
वज्जि, यह सभी महाजनपदों में सबसे पहला गणतंत्र जनपद था और मल्ल, वज्जि संघ की तरह एक गणतांत्रिक महाजनपद था।