शेर शाह सूरी का प्रशासन

शेर शाह सूरी का प्रशासन – केंद्रीय, प्रान्तीय, अर्थव्यवस्था, न्याय और सैनिक व्यवस्था

शेर शाह सूरी का प्रशासन – हमने पिछले आर्टिकल में शेर शाह सूरी के बारे में पढ़ा था। हमने पढ़ा था की कैसे उनका प्रारंभिक जीवन गुज़रता है और कैसे वे बहुत से संघर्ष के बाद पूरे उत्तर भारत में अपना राज जमा लेते है और मुगलो को वे भारत से बाहर खदेड़ देते है।

हर राजा का अपना काम करने का तरीका होता है, जिससे वह अपने साम्राज्य को मजबूत और समृद्ध बनाता है, आज हम शेर शाह सूरी के प्रशाशन व्यवस्था के बारे में विस्तार से समझेंगे।

जैसे आज के समय में भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था है, उस समय राजतंत्र हुआ करता था और सारे देश की  बागडोर केवल राजा के हाथो में ही होती थी। जैसे आज केंद्रीय और राज्यों में और अलग अलग विभागों में भारत बटा हुआ है कुछ उसी तरह से उस समय भी कुछ विभाग बाटे हुए थे, लेकिन सारी कमान सिर्फ राजा के पास ही होती थी। 

शेर शाह सूरी का प्रशाशन इतना व्यवस्थित था की आगे मुगल वंश भी शेर शाह के प्रशाशन से प्रेरित हुए, और अकबर के लिए तो शेर शाह का प्रशाशन एक मार्ग दर्शक के रूप में कार्य करता था।

शेर शाह सूरी की प्रशाशन व्यवस्था के अलग अलग भाग:

  1. केंद्रीय व्यवस्था 
  2. प्रान्तीय व्यवस्था 
  3. अर्थव्यवस्था 
  4. न्याय व्यवस्था 
  5. सैनिक व्यवस्था 

आइये इन व्यवस्थाओ को विस्तार से जाने:

केंद्रीय व्यवस्था

इसमें राजा यानी के शेर शाह सूरी ही के पास सारी शक्तियाँ होती थी। काम करने के लिए अलग अलग विभाग तो थे परन्तु वो राजा के ही अनुसार काम करते थे। वे विभाग अपना अलग अलग काम करते थे, और वे विभाग कुछ इस प्रकार है:

दीवान-ऐ-आरिज़ :  इस विभाग में सेना से सम्बंधित कार्य होते थे, जैसे सैन्य प्रशाशन की नियुक्ति, उनका वेतन, उनका रख-रखाव, उनकी परेशानियों से सम्बंधित कार्य आदि।

दीवान-ऐ-वजारत : इस विभाग में कर सम्बंधित कार्य होते थे, जैसे कर लेना, भूराजस्व, लगान आदि।

दीवान-ऐ-इंशा : इस विभाग में पत्र सम्बंधित कार्य जैसे एक विभाग से दूसरे विभाग में खबर पहुँचाना, एक जगह से दूसरी जगह खबर पहुँचाना, राजा के बताये निर्देशों को विभागों तक पहुँचाना आदि।

दीवान-ऐ-रसालत : इस विभाग में बाहर के मामले जैसे दूसरे प्रदेशो से बातचीत आदि।

दीवान-ऐ-काज़ा : इस विभाग में न्याय सम्बंधित कार्य जैसे प्रदेश में कोई समस्या हो उसे सुलझाना, न्याय करना, कोई अन्याय न करे उसकी निगरानी रखना आदि।

दीवान-ऐ-बरीद : इस विभाग में ऐसे लोग होते थे जो गुप्तचर सम्बंधित कार्य करते थे, जैसे राजा और उनके अधिकारियो तक ऐसे बाते पहुँचाना जिससे की प्रदेश को फायदा पहुँच सके और आगे कोई परेशानी न उत्पन्न हो सके।

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ये सारे विभाग अपना अपना कार्य करते थे, जैसे आज भी अलग अलग विभाग अपना अपना कार्य करते है, परन्तु उस समय ये सारे विभाग स्वतन्त्र नहीं थे और उनकी कमान राजा के हाथो में होती थी, और वे उसके अनुसार ही कार्य करते थे। 

प्रान्तीय व्यवस्था

जैसे आज भारत अलग अलग राज्यों में और उनके अंदर जिलों में बटा है, वैसे ही इस व्यवस्था में अलग अलग स्तर में उनके अलग अलग नाम और उनके हिसाब से वहाँ अधिकारी नियुक्त किये जाते थे, और वे कुछ इस प्रकार है। 

साम्राज्य → प्रान्त → सरकार → परगना → गांव

साम्राज्य : सबसे ऊपर साम्राज्य होता था। 

प्रान्त : साम्राज्य को प्रान्त में बांटा जाता था और प्रान्त को सूबा या इक्ता भी कहा जाता था।

सरकार : प्रांतो को जिलों में बांटा जाता था जिसे सरकार के नाम से बुलाया जाता था। इस स्तर में अधिकारी नियुक्त किये जाते थे जैसे शिकदार-ऐ-शिक़दारा, ये अधिकारी सरकार स्तर में सैन्य सम्बंधित कार्य करता था और मुन्सिफ-ऐ-मुन्सिफ़ा, ये अधिकारी न्याय सम्बंधित कार्य करता था।  

परगना : सरकार या जिलों को परगना में बांटा जाता था, इस स्तर में भी अधिकारी नियुक्त किये जाते थे जो इस स्तर तक के कार्य करते थे जैसे शिकदार, मुन्सिफ, फोतदार। 

गांव : गांव देश का सबसे छोटा अंग होता था। 

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अर्थव्यवस्था

उस समय राजा बहुत सारे चीजों के द्वारा अपना राज कोष भरा करते थे, और उन सबमे सबसे ज्यादा आय जिससे होती थी वह होता था भूमि कर और कृषि से और भी बहुत सारे चीजे थी जो देश की आय का स्त्रोत हुआ करती थी जैसे जजिया कर, युद्ध का लूटा हुआ धन, टकसाल, व्यापार कर आदि। 

 शेर शाह सूरी के समय में किसानो को सरकारी भूमि कृषि करने के लिए दी जाती और बदले में उनसे कर लिया जाता था, और किसानो को एक “कबूलियत पत्र” भी भरवाया जाता था ताकि वे कर देने में कोई परेशानी न करे। 

भूमि को मापने के लिए उस समय एक “सिकंदरी गाज़” का उपयोग करा जाता था, जो एक प्रकार का डंडा हुआ करता था जो 31 अंगुल या 32 इंच का हुआ करता था, भूमि कर ⅓ लिया जाता था। 

शेर शाह सूरी ने भारत में पहले बार रुपयों का प्रयोग किया। 

उन्होंने कुछ सिक्को को निकला, जो इस प्रकार है:

उन्होंने चांदी के रूपए निकाले जो 180 ग्रेन के होते थे। 

उन्होंने ताम्बे के दाम निकाले जो 380 ग्रेन के होते थे। 

न्याय व्यवस्था

शेर शाह सूरी का प्रशासन में देश में न्याय को कायम रखने के लिए अधिकारियो की नियुक्ति की जाती थी, मुन्सिफ-ऐ-मुन्सिफ़ा, क़ाज़ी जो देश में न्याय करते थे, दोषी को दंड देते थे, और कोई अन्याय न करे यह भी इन्ही का काम हुआ करता था। 

लेकिन इन सबमे सबसे ऊपर राजा ही होता था जो अंतिम फैसले लिया करता था और उसी का आदेश अंतिम आदेश हुआ करता था, शेर शाह सूरी न्याय के लिएसुल्तान-उल-अदल की उपाधि ले रखी थी।

शेर शाह सूरी की न्याय व्यवस्था बहुत ही कठोर थी।

सैन्य व्यवस्था

किसी राजा की सैन्य व्यवस्था पे ही निर्भर करता है की वो राजा अपना साम्राज्य कितना बढ़ा सकता है, कितना उसे समृद्ध बना सकता है क्यूंकि अगर सैन्य व्यवस्था ही मजबूत नहीं होगी तो कोई भी आक्रमण करके कब्ज़ा कर सकता है।

शेर शाह सूरी की यही विशेषता थी जिससे उन्होंने पूरे उत्तर भारत को अपने आधीन कर लिया था। उनके पार सैनिको की विशाल और युद्ध शैली में निपूर्ण सेना थी, जिनके दम पे उन्होंने कई युद्ध लड़े और जीते भी।

उनकी सेना में पैदल सैनिक, हाथी, घुड़सवार और तोपखाने थे।

शेर शाह ने दिल्ली सल्तनत काल के खिलजी वंश के सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी के कुछ कार्य भी अपनी सैन्य व्यवस्था लाये जैसी “घोड़े दागने” की प्रथा और “सैनिको के हुलिया” लिखने की प्रथा।

शेर शाह के कुछ निर्माण कार्य

⇒ शेर शाह सूरी द्वारा कनौज नगर उजाड़ दिए जाने बाद वहां उन्होंने शेरसूर नमक नगर का निर्माण करवाया।

⇒ बिहार के उत्तरी – पश्चिमी सीमा पर रोहताशगढ़ के दुर्ग का निर्माण करवाया।

⇒ पाटलिपुत्र के पास पटना नमक नगर की स्थापना की।

⇒ बिहार के सासाराम में अपना मकबरा स्वयॅ ही बनवाया।

⇒ दिल्ली में किला-ऐ-कुहना नामक एक मस्जिद का निर्माण करवाया।

⇒ G.T रोड, जो बंगाल से काबुल तक जाती है, इस सड़क मार्ग का उपयोग आज भी होता है और लोग आज भी इस निर्माण का लाभ उठाते है, इस रोड को शेर शाह सूरी ने सुन्दर स्वरुप दिया।

शेर शाह सूरी का प्रशासन

हमे ये देखने को मिला कि शेर शाह सूरी का प्रशाशन बहुत ही व्यवस्थित था और जन कल्याण के लिए भी उन्होंने अनेक कार्य किये।

हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई शेर शाह सूरी का प्रशासन के बारे में जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।

धन्यवाद।


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