holi ka mahatva – होली भारत में हिंदुओं का एक बहुत बड़ा और प्रमुख त्योहारों में से एक है, ये पर्व बहुत ही प्राचीन समय से मनाया जाता आ रहा है। ये त्योहार भी बाकी सब त्योहारों की तरह ही बुराई पे अच्छाई का प्रतीक का त्योहार है।
यह त्योहार फागुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये त्योहार दूसरे धर्मो में भी बहुत ज्यादा लोकप्रिय है, और यही नहीं भारत के बाहर विदेशो में भी होली का त्योहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है।
यह त्योहार भारत में अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरह से मनाया जाता है, और ये सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं होता कई राज्यों में ये कई दिनों तक चलता रहता है।
उसमे से एक ब्रज की लठमार होली सबसे ज्यादा प्रचलित है इसमें पुरुष महिलाओं को रंग लगाते है और महिलाएँ उन्हें लाठी या कपडे से बने चाबुक से मारती है ये राधा और श्रीकृष्ण के प्यार को दर्शाता है।
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पंजाब का होला मोहल्ला, ये सिख समुदाय द्वारा होली के एक दिन बाद मनाया जाता है, इसमें वे अपने युद्ध कौशल और बहादुरी का प्रदर्शन करते है।
उत्तराखंड में होली के कई नाम है जैसे की, खड़ी होली, बैठकी होली आदि, यहाँ लोग नाच गाना करते हुए और एक दूसरे को रंग लगाते हुए होली की बधाई देते है और ऐसे ही कई राज्यों में होली का त्यौहार अलग अलग रूप में और अलग अलग महत्व के रूप में मनाया जाता है।
Holi me rango ka upyog kyu kiya jaata hai
ऐसा माना जाता है की भगवान श्रीकृष्ण होली का त्यौहार रंगों से मनाया करते थे, वे अपने मित्रों के साथ रंगो से होली खेलते थे और पूरे गांव में क्रीड़ा करते थे, इसलिए होली रंगो से मनायी जाती है।
Holi ko manane ke karan
भारत में इस त्योहार को मानाने के कई कारण है, उन सब कारणों में से एक प्रमुख और लोकप्रिय कारण तो आप सबने अपने स्कूल में भी जरूर पढ़ा होगा और उसके निबंध भी बनाये होंगे और वो कारण है हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद की कथा आइये एक बार फिर उस पर दृष्टि डालते है।
हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा हिन्दू धर्म के चार युगों में सबसे प्रथम युग सतयुग की कथा है, और ये कथा सबसे प्रख्यात कथा है।
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हिरण्यकश्यप बहुत ही क्रूर और अपने आप को भगवान से भी ऊपर मानता था, लेकिन उसके घर में उसका ही पुत्र प्रह्लाब भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ये सब देखके बहुत ही क्रोधित हो जाता था की उसका ही पुत्र उसके शत्रु की पूजा और आराधना कर रहा है।

उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया, होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, और वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद की अटूट भक्ति की वजह से वह तो बच गया लेकिन होलिका नहीं बच पायी, और इसी दिन से ये होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है और भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया।
Kuch anya karan
होली को मनाने के कई कारण है उनमें से एक कारण भगवान् श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है, जब द्वापर युग में कंस को पता चला कि उसको मारने वाला धरती पे जन्म ले चुका है तो उसने श्रीकृष्ण को मारने के लिए कई प्रयास किये और ऐसे ही एक प्रयास में उसने राक्षसी पूतना को ये काम सौंपा।
पूतना ने अपना कार्य शुरू किया और वह एक एक करके अपने जहरीले दूध से बच्चों को मारने लगी, उसने श्रीकृष्ण को भी दूध पिलाया और श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया और उस दिन फाल्गुन की पूर्णिमा थी और वह दिन होली से एक दिन पहले होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है।
holi ka mahatva
एक अन्य कारण यह भी माना जाता है, जो भगवान श्री कृष्ण और राधा से जुड़ा है, कथा कुछ इस प्रकार है की भगवान श्रीकृष्ण का रंग राधा की तरह गोरा नहीं था और वे इसलिए थोड़े परेशान रहते थे की राधा उनसे उनके रंग के वजह से बात नहीं करेगी।
इसलिए श्रीकृष्ण की माता ने उनसे राधा को रंग लगाने को कहा कि फिर वो दोनों ही एक जैसे हो जायेंगे।

Holi ke anya naam
जैसा की हमने आपको शुरुआत में बताया की पुरे भारत में होली अलग अलग रूप में मनाई जाती वैसे ही उसके उन राज्यों में अलग अलग नाम भी है आईये जानते है:
- लठमार होली- उत्तर प्रदेश
- होला मोहल्ला – पंजाब
- खड़ी होली, बैठकी होली- उत्तराखंड
- फगुवा- बिहार
- रंग पंचमी – महाराष्ट्र
- शिग्मो – गोवा
- डोला – ओडिसा
- बसंत उत्सव- पश्चिम बंगाल
- याओसांग- मणिपुर
पहले होली के रंग फूलों से प्राकर्तिक तरीके से बनाये जाते थे जो की हमारी त्वचा के लिए ठीक होते थे लेकिन, आज के समाये में अब नकली और मिलावटी रंग जिनमे खतरनाक रसायनों का प्रयोग होता है।
ऐसे रंग बनाए जाते है जो हमारी त्वचा के लिए बेहद ही खतरनाक होते है और इससे हमें त्वचा सम्बंधित रोग उत्पन हो सकते है।
सामाजिक जिम्मेदारी
आजकल होली का महत्व कुछ लोगो के लिए सिर्फ एक दिन की छुट्टी और सामाजिक दृष्टि से बुरे कार्य जैसे शराब का सेवन, नशीले पदार्थ जैसी चीजों के लिए ही रह गया है, जिससे की आने वाली पीढ़ी होली के त्यौहार को उसके असली महत्व नहीं जान पाती।
इसलिए हमे होली को उसके असली महत्व और सुरक्षा के साथ अच्छे तरीके से मनाना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हमारे संस्कृति को जान सके।
holi ka mahatva
हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।
धन्यवाद।
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