Yogmaya Temple – दिल्ली का प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर योगमाया देवी मंदिर सबसे पुराना मंदिर है, और मेहरौली में स्तिथ है। योगमाया देवी एक देवी हैं जिन्होंने विचारों का निर्माण किया। मंदिर का दूसरा नाम जोगमाया है। मंदिर देवी योगमाया को समर्पित है।
योगमाया देवी भगवान् श्री कृष्णा की बहन मानी जाती है। योगमाया देवी नन्द महाराज और यशोदा की पुत्री थी, जिसे भगवान् श्रीकृष्ण से बदल दिया गया था।
धार्मिक मान्यता
yogmaya mandir history in hindi – जब योगमाया माता को भगवान् श्रीकृष्ण से बदला गया और कंस ने उन्हें कृष्ण समझकर उन्हें मारने के लिए फेंका तो उनके तीन टुकड़े हुए और तीनो टुकड़े अलग अलग हिस्सों में गिरे।
पहला हिस्सा दिल्ली के मेहरौली में गिरा जहाँ माता का योगमाया मंदिर है, दूसरा हिस्सा आकाश में चला गया और आखरी हिस्सा विंध्याचल में जा के गिरा और वहां माता विंध्यवासिनी कहलायी और वहां माता विंध्यवासिनी मंदिर है।
मेहरौली के योगमाया मंदिर में माता का शीष वाला हिस्सा गिरा था, इसलिए यहाँ माता के शीष वाले भाग की आराधना होती है, और विंध्याचल में माता के चरणों वाला हिस्सा गिरा था इसलिए वहां माता के चरणों वाले भाग की आराधना होती है।
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मान्यताओं के आधार पर महाभारत के दौरान पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था। पहली बार, इस मंदिर का पुनर्निर्माण मुगल सम्राट अकबर द्वितीय (1806-1837) के शासनकाल के दौरान हुआ था। सम्राट अकबर द्वितीय के निर्देशन में, सेठमल ने मंदिर का निर्माण शुरू किया।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब अभिमन्यु को जयद्रथ द्वारा मार गिराया गया था, तब भगवान कृष्ण और अर्जुन अभिमन्यु की मृत्यु के बाद योगमाया मंदिर में देवी के दर्शन करने आये थे। अर्जुन ने मंदिर में यह प्रण लिया था कि वह अगले दिन शाम तक वह जयद्रथ का वध करके अपने पुत्र अभिमन्यु का प्रतिशोध लेगा।
Yogmaya Temple
पहले मंदिर में सिर्फ योगमाया देवी ही पिंडी के रूप में विराजित थी, पर बाद में इस मंदिर में यहाँ दूसरे देवी देवताओ को भी स्थापित किया गया, यहाँ आपको महादेव जी, गणेश जी, हनुमान जी, कल्कि अवतार, राधा कृष्णा जी, लक्ष्मी नारायण जी, राम दरबार, दुर्गा माता के भी दर्शन करने को मिल जायेंगे।
हमने आपको हमारे history of delhi in hindi वाले आर्टिकल में बताया था की कैसे मेहमूद गजनवी, जो गजनी का राजा था उसने भारत में 1009 से 1026 के बीच करीब 17 बार आक्रमण किया था, उसमे उसने कई मंदिरो को क्षतिग्रस्त किया था और उन जगहों का अपार धन लूटा। उसने योगमाया मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया था और इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया था।
लेकिन बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण राजपूत राजा हेमू द्वारा किया गया था। दिल्ली में वर्तमान मंदिर 19 वीं शताब्दी में बनावाया गया था।
मंदिर पर लगभग 200 लोग काम करते हैं, और सभी अंत तक ईमानदारी से काम करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में कई साल पहले, सदियों पहले के पूर्वजों ने मंदिर की देखभाल की, प्रतिदिन देवी की पूजा की, मंदिर को साफ रखा।
एक अनोखा पर्व
इस पर्व का नाम “फूल वालो की सैर“ है, यह त्यौहार एक फूल का त्योहार है। इसमें फूलो का काफी महत्व होता है , यह कार्यक्रम महरौली में कुतुब साहिब दरगाह और योगमाया मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया जाता है।
इस दौरान पतंग उत्सव मनाया जाता है, कुश्ती होती है, और केवली का प्रदर्शन किया जाता है, त्योहार के दौरान, कथक, कवली जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
यह त्योहार भारत की आज़ादी के समय बंद करवा दिया गया था, लेकिन बाद में उस समय के प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस त्योहार को वापस शुरू करवाया था। इस त्योहार को हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्मो के लोग बड़े ही प्रेम भाव से मनाते है और ये हिंदुस्तान की एकता को दर्शाता है।
हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा Yogmaya Temple के बारे में दी गई जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।
धन्यवाद।
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